आज हम पता नहीं किस भाग दौड़ में लग गए है न दिन को चैन है न रात को आराम है आज हमारी जेब में पैसे होते हुए भी हम सही तरीके मै संतुस्ट नहीं है,अभी गांव भी मोर्डर्न हो गए है जवान पीढ़ी अपनी नौकरी के लिए शहर को चले गए हे और अधिकतर वही पर स्थानान्तरित हो गए है, अभी गांव मै बुजुर्ग लोग ही रह गये है घर खाली रह गए है, कहने को बेटा अच्छी कंपनी मै काम करता है पर माँ बाप दोनों अकेले गांव मै समय बिता रहे है, कैसी दुविधा है बेटे - बेटी को सब चाहते है खूब अच्छा पढ़े, पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी लगे पर बुजुर्ग माता पिता का बुढ़ापा बिगड़ जाता है ,बच्चे जिद भी करते है अपने साथ शहर ले जाने की माता पिता गांव को छोड़ने को मना कर देते हैI अगर किसी के माता पिता चले भी जाते है तो वो शहर का माहौल देख कर वापस अपने गांव आ जाते है, शहर मै किसी के पास समय नहीं है किसी से बात करने का सभी अपने अपने काम मै व्यस्त है और गांव वालो को यही अकेलापन सहन नहीं होता और वो वापस अपने गांव चले आते है दूध की मौज हुआ करती थी गांव मै लेकिन अभी दूध की थैली उपलब्ध है दुकान पर, गांव मै दूध के लिए पशु पाले जाते थे लेकिन अभी १० प्रतिसत लोग ही पशु पालते है इसका प्रमुख कारण परिवार मै अभी लोगो की संख्या कम हो गयी है और पशु पलने मै मेहनत लगती है बच्चो को भी गोबर मै बदबू आती है वो भी हाथ नहीं बटाते है इसके विपरीत हम भी बच्चो को नहीं चाहते वो इस काम मै लगे सोचते है वो यह समय मै अपनी पढाई करे और पद लिख कर अच्छी नौकरी लग जाये हम तो जैसे तैसे अपना समय काट ही लेंगे I
में भी दिल्ली मै एक निजी कंपनी मै कार्य करता हूँ और रोजाना अपने गांव से ही आना जाना करता हूँ और मुझे आज भी सकूँन अपने गांव मै जा कर ही मिलता है I
लेकिन बहुत सारे हमारे भाई बहन ऐसे है जो अपने गांव से इतनी दूर है की वो रोज़ाना आना जाना नहीं कर सकते उनकी मजबूरी हो गयी है वही पर स्थानान्तरित हो जाने की लेकिन एक बात उनके जेहन मै जरूर रहती है जिस दिन अपनी नौकरी से निवृत्त होऊंगा अपने गांव चला जाऊंगा 👪👪
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